आगरा में स्तिथ है, प्यार की अमर निशानी ताजमहल जिसका निर्माण शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज़ महल के लिए 1631 में करवाया था। किसे पता थी की इसके ठीक 381 साल बाद 2012 में एक पति अपनी पत्नी की याद में एक और ताजमहल का निर्माण करवाएगा। हालांकि अबकी बार ताजमहल का निर्माण करवाने वाला कोई राजा महाराजा नहीं बल्कि एक रिटायर्ड पोस्टमास्टर है और जगह आगरा नहीं बल्कि बुलंदशहर है।
बुलंदशहर के रिटायर्ड पोस्टमॉस्टर फैजुल हसन कादरी (78 वर्ष) ने अपनी स्वर्गीय पत्नी तज्जमुली बेगम की याद में एक मिनी ताजमहल बनवाया है। इस ताजमहल की आकर्ति हूबहू अगर के ताजमहल जैसी है लेकिन यह देखने में एकदम साधारण है क्योकि यह मात्र 15 लाख रुपए की लागत से तैयार हुआ है।
आखिर क्यों करवाया निर्माण :
फैज़ुल हसन कादरी और तज़्ज़मुली बेगम के कोई संतान नहीं थी। इसलिए तज्जमुली बेगम ने अपने पति से कहा की हमे कोई ऐसी इमारत बनवानी चाहिए जिससे की मरने के बाद भी लोग हमे याद करे। तब फैज़ल ने अपनी बीबी से वादा किया कि वो हूबहू ताजमहल जैसी एक छोटी इमारत बनवायेगा। दिसंबर 2011 में बेगम तज्जमुली का निधन हो गया और फैज़ल ने फ़रवरी 2012 में अपने वादे के अनुरूप अपनी घर की खाली जगह में, 50 * 50 के प्लाट पर मिनी ताज महल का काम शुरू करवा दिया। इसके लिए वो पहले कारीगरों को ताजमहल घुमा कर लाये ताकि वो डिजाइन को अच्छी तरह समझ सके।
जमीन बेच कर किया पैसो का इंतज़ाम :
फैज़ुल हसन कादरी के पास कुछ रुपए तो बचत और प्रोविडेंट फंड के थे लेकिन बाकी रकम का इंतज़ाम उन्होंने जमीन और अपनी मरहूम बीबी के गहने बेच कर किया। कुल मिलाकर 13 लाख रुपए इकठ्ठे हुए जिनसे की 18 महीनो में एक ढाचा खड़ा हो गया हालांकि फिर पैसे ख़त्म होने के कारण काम बंद करना पड़ा। लोगो ने उन्हें मदद की पेशकश की मगर उन्होंने यह कह कर ठुकरा दी की इसका सम्पूर्ण निर्माण में अपने पैसो से करवाऊंगा। अब जैसे जैसे उनके पास अपनी पेंशन के रुपए इकठ्ठे होते है वो इसका काम करवाते रहते है।
ताजमहल में ही दफ़न है उनकी बेगम :
फैज़ुल हसन कादरी ने अपनी बेगम की कब्र ताजमहल में बनवा दी है और लोगो को कह रखा है की उनके मरने के बाद उन्हें भी अपनी बेगम के बगल में दफना दिया जाए। फैज़ुल का कहना है की कई लोगों ने मुझसे कहा कि मैं अपना पैसा खराब कर रहा हूं। इसके बदले मैं किसी निर्धन जोड़े की शादी करा सकता था। पर मैंने ताज महल ही बनवाने का फैसला किया। हम दोनों की शादी काफी पहले कम उम्र में ही हो गई थी। हमारे बीच कभी झगड़ा नहीं हुआ।
फैज़ुल हसन कादरी के मिनी ताजमहल बनाने के कारण उनका गाँव विशव स्तर पर चर्चित हो चुका है। विशव के अधिकतर मीडिया हाउस इस पर स्टोरी बना चुके है और इसी कारण अब तो लोग इसे देखने भी आने लगे है।
बुलंदशहर के रिटायर्ड पोस्टमॉस्टर फैजुल हसन कादरी (78 वर्ष) ने अपनी स्वर्गीय पत्नी तज्जमुली बेगम की याद में एक मिनी ताजमहल बनवाया है। इस ताजमहल की आकर्ति हूबहू अगर के ताजमहल जैसी है लेकिन यह देखने में एकदम साधारण है क्योकि यह मात्र 15 लाख रुपए की लागत से तैयार हुआ है।
आखिर क्यों करवाया निर्माण :
फैज़ुल हसन कादरी और तज़्ज़मुली बेगम के कोई संतान नहीं थी। इसलिए तज्जमुली बेगम ने अपने पति से कहा की हमे कोई ऐसी इमारत बनवानी चाहिए जिससे की मरने के बाद भी लोग हमे याद करे। तब फैज़ल ने अपनी बीबी से वादा किया कि वो हूबहू ताजमहल जैसी एक छोटी इमारत बनवायेगा। दिसंबर 2011 में बेगम तज्जमुली का निधन हो गया और फैज़ल ने फ़रवरी 2012 में अपने वादे के अनुरूप अपनी घर की खाली जगह में, 50 * 50 के प्लाट पर मिनी ताज महल का काम शुरू करवा दिया। इसके लिए वो पहले कारीगरों को ताजमहल घुमा कर लाये ताकि वो डिजाइन को अच्छी तरह समझ सके।
जमीन बेच कर किया पैसो का इंतज़ाम :
फैज़ुल हसन कादरी के पास कुछ रुपए तो बचत और प्रोविडेंट फंड के थे लेकिन बाकी रकम का इंतज़ाम उन्होंने जमीन और अपनी मरहूम बीबी के गहने बेच कर किया। कुल मिलाकर 13 लाख रुपए इकठ्ठे हुए जिनसे की 18 महीनो में एक ढाचा खड़ा हो गया हालांकि फिर पैसे ख़त्म होने के कारण काम बंद करना पड़ा। लोगो ने उन्हें मदद की पेशकश की मगर उन्होंने यह कह कर ठुकरा दी की इसका सम्पूर्ण निर्माण में अपने पैसो से करवाऊंगा। अब जैसे जैसे उनके पास अपनी पेंशन के रुपए इकठ्ठे होते है वो इसका काम करवाते रहते है।
ताजमहल में ही दफ़न है उनकी बेगम :
फैज़ुल हसन कादरी ने अपनी बेगम की कब्र ताजमहल में बनवा दी है और लोगो को कह रखा है की उनके मरने के बाद उन्हें भी अपनी बेगम के बगल में दफना दिया जाए। फैज़ुल का कहना है की कई लोगों ने मुझसे कहा कि मैं अपना पैसा खराब कर रहा हूं। इसके बदले मैं किसी निर्धन जोड़े की शादी करा सकता था। पर मैंने ताज महल ही बनवाने का फैसला किया। हम दोनों की शादी काफी पहले कम उम्र में ही हो गई थी। हमारे बीच कभी झगड़ा नहीं हुआ।
फैज़ुल हसन कादरी के मिनी ताजमहल बनाने के कारण उनका गाँव विशव स्तर पर चर्चित हो चुका है। विशव के अधिकतर मीडिया हाउस इस पर स्टोरी बना चुके है और इसी कारण अब तो लोग इसे देखने भी आने लगे है।