आज हम आपको एविएशन इतिहास के उन 10 बड़े हादसों के बारे में बताएँगे , जिनसे सबक लेकर
एविएशन में सुरक्षा के लिए बड़े सुधार किये जिसकी बदौलत आज हवाई सफ़र काफी हद तक सुरक्षित है। इन 10 बड़े हादसों में 8 बड़े प्लेन क्रैश और दो इमरजेंसी लैंडिंग हैं।
1.टीडब्ल्यूए लॉकहीड सुपर और यूनाइटेड एयरलाइंस डगलस डीसी-7 हादसा :
30 जून 1956 को टीडब्ल्यूए लॉकहीड सुपर और यूनाइटेड एयरलाइंस डगलस डीसी-7 आपस में टकराकर ग्रांड कैनयॉन में बिखर गए। टीडब्ल्यूए लॉकहीड सुपर में 6 क्रू मेंबर के साथ 64 यात्री थे और डगलस डीसी-7 में 5 क्रू सदस्यों के साथ 53 यात्री थे।
मृतक : 128
वजह : दोनों विमान इंस्ट्रूमेंट फ्लाइट रूल्स (आईएफआर) से नियंत्रित थे। दोनों के पायलटों ने पहले से तय रूट में बदलाव किया,क्योंकि एयरवेज सीधे कंट्रोलरूम से नियंत्रित नहीं थीं। उस समय के नियमों के अनुसार कई प्वाइंट्स तय थे। इनमें विभिन्न कंपनियों के रूट तय थे।
बदलाव : इस दुर्घटना की वजह से उस समय 250 मिलियन डॉलर की राशि खर्च करके एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम सुधारा गया।
परिणाम : एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम में सुधार के बाद अमेरिका में 47 साल तक विमानों के आपस में टकराने की कोई दुघर्टना नहीं हुई। इस हादसे के बाद 1958 में फेडरल एविशएन एजेंसी (अब एडमिनिस्ट्रेशन) की शुरुआत की गई। यह एयर सेफ्टी का दायित्व निभाती है।
2-यूनाइटेड एयरलाइंस की फ्लाइट 173 हादसा :
28 दिसंबर 1978 को यूनाइटेड एयरलाइंस की फ्लाइट 173 ओरेगन के सब-अर्बन इलाके पोर्टलैंड में क्रैश हो गया। यह विमान पोर्टलैंड के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरने वाला था। इमरजेंसी लैंडिंग की कोशिश में प्लेन एयरपोर्ट के दक्षिणपूर्वी हिस्से में क्रैश हो गया,लेकिन इसमें आग नहीं लगी। विमान में 185 यात्री और 8 क्रू मेंबर सवार थे।
मृतक : 8 क्रू मेंबर सहित 19 की मौत।
घायल : 21 यात्री।
वजह : एयरक्राफ्ट के फ्यूल को मॉनिटर करने में कैप्टन की विफलता। इससे दोनों इंजनों से तेल खाली हो गया।फ्यूल की आपूर्ति रुकने के कारण लैंडिंग गियर में गड़बड़ी आई और इमरजेंसी लैंडिंग की कोशिश नाकाम रही।
बदलाव :
-सभी क्रू मेंबर को कॉकपिट ट्रेनिंग देना शुरू किया गया।
-नया कॉकपिट रिसोर्स मैनेजमेंट (सीआरएम) अपनाया गया।
-विमान के अन्य सदस्यों के लिए भी यह तकनीकी प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया गया।
परिणाम : सुधारों के चलते 1989 में आयोवा के सिओक्स सिटी में डीसी-10 की क्रैश लैंडिंग को बचाने में क्रू मेंबर सफल रहे।
3-एयर कनाडा फ्लाइट 797 (मैकडोनेल डगलस डीसी-9-32) हादसा :
2 जून 1983 को एयर कनाडा फ्लाइट 797 का एक मैकडोनेल डगलस डीसी-9-32 टेक्सास से मॉन्ट्रियल जा रहा था। क्रू मेंबर ने 33,00फीट की ऊंचाई पर देखा कि प्लेन के पिछले हिस्से में बने शौचालय से धुआं निकल रहा है। पालयट ने सिनसिनाटी के एयरपोर्ट में लैंडिंग करवाई। तुरंत इमरजेंसी दरवाजा और अन्य गेट भी खोले गए, लेकिन लोग प्लेन से निकल पाते, इससे पहले ही आग से कैबिन में विस्फोट हुआ। विमान में 46 लोग सवार थे।
मृतक : 23
वजह : प्लेन के पिछले हिस्से में आग लगना। क्रू मेंबर ने आग की अनदेखी की, लेकिन क्यों लगी, इसका पता नहीं लगाया जा सका।
बदलाव :
- सभी विमानों के शौचालयों में स्मोक डिटेक्टर और ऑटोमैटिक आग बुझाने वाली मशीनें लगीं।
- जेटलाइनर्स की सीटों पर अग्नि प्रतिरोधी परत लगाई गई।
- प्लेन के फ्लोर में भी लाइटिंग की व्यवस्था की गई। इससे घने स्मोक यात्री को बाहर निकलने में परेशानी कम होगी।
परिणाम :
-1988 के बाद विमानों में अधिक से अधिक सुरक्षित और अग्नि प्रतिरोधी इंटीरियर तैयार किया जाने लगा।
4 हादसा - डेल्टा एयरलाइन फ्लाइट 191 (लॉकहीड एल-1011-385-1) :
2 अगस्त 1985 को टेक्सास के डलास में दोपहर बाद का मौसम कुछ खराब था। तापमान अधिक था, लेकिन नमी भी थी। दोपहर बाद4:03 बजे डेल्टा एयरलाइन की फ्लाइट 191 ने रनवे से उड़ान भरी ही थी। इस लॉकहीड एल-1011-385-1 में 167 यात्री सवार थे।800 फीट की ऊंचाई पर कुछ विचित्र घटा। एक विस्फोट हुआ और कुछ ही सेकंड में विमान रनवे और हाईवे पर आ गिरा। इसकी चपेट में एक वाहन आ गया।
मृतक संख्या : 137
हादसे की वजह : वातावरण में आकाशीय बिजली बनने की परिस्थितियां निर्मित होना। यह एक कमजोर फ्रंटल सिस्टम की वजह से स्थिति बनी थी।
सुधार : हादसे के बाद नासा ने विंड-विंडशीयर डिटेक्टर रडार तैयार किए।
परिणाम : इस घटनाबाद से इस तरह की एक ही दुर्घटना दर्ज की गई है।
5- एयरोमेक्सिको फ्लाइट 498 हादसा :
1956 में ग्रांड कैनयॉन में हवाई दुघर्टना के बाद एटीसी सिस्टम ने एयरलाइनों के अलग-अलग रूट बनाए गए थे। इससे हादसे रोकने में बड़ी मदद मिली थी। इसके बावजूद, लॉस एंजलिस में 31 अगस्त 1986 को एक निजी 4 सीटर पाइपर आर्चर विमान को कंट्रोल रूम का सिस्टम डिटेक्ट नहीं कर पाया। एयरोमैक्सिको डीसी-9 के पायलट ने बड़ी भूल कर दी और लैडिंग करने जा रहे यात्री विमान एलएएक्स से जा टकराया। दोनों प्लेन के टुकड़े रहवासी इलाके के 20 किमी के दायरे में बिखर गए।
मृतक : 82
कारण : कंट्रोल रूम का सिस्टम एयरपोर्ट एरिया में आए छोटे विमान को डिटेक्ट नहीं कर पाया।
बदलाव :
- छोटे विमानों को नियंत्रित एरिया में प्रवेश देने के लिए ट्रांसपोंडर्स का प्रयोग किया जाने लगा। यह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस विमान की स्थिति और उसकी उड़ान की ऊंचाई का पूरा विवरण देती है।
- विमान कंपनियों को टीसीएस-2 भिड़ंत से बचाने वाला सिस्टम लगाना जरूरी कर दिया गया।
- ऐसी स्थितियों से ट्रांसपोंडर पायलट को विमान बचाने के लिए सही निर्देश देते हैं।
परिणाम : अमेरिका में इस प्रणाली को अपने के बाद कोई भी छोटा प्लेन किसी एयरलाइनर से नहीं टकराया।
6- अलोहा एयरलाइंस, फ्लाइट 243, (बोइंग 737-200, एन 73711) हादसा :
28 अप्रैल 1988 को अलोहा एयरलाइंस की फ्लाइट 243 का बोइंग 737 विमान के ढांचे की बड़ी खामी उजागर हुई। हिलो से हवाई के होनोलुलु के लिए उड़ान भरने वाले इस विमान में 24, 000 फीट की ऊंचाई हादसा हुआ। कैबिन का दरवाजा और यात्रियों के ऊपर की छत निकलकर अलग हो गए। प्लेन में 89 यात्री और 6 क्रू मेंबर सवार थे।मावी द्वीप के कहुलुई एयरपोर्ट पर विमान की इमरजेंसी लैंडिंग करवाई गई।
मृतक : कोई नहीं
घायल : 7 यात्री और एक विमान सहायक को गंभीर चोटें
वजह : पर्याप्त मैंटेनेंस नहीं होना।
बदलाव : एयर कैरियर मैंटेनेंस प्रोग्राम और निगरानी कार्यक्रम शुरू किए गए। इंजीनियरिंग डिजाइन के प्रमाणीकरण और गुणवत्ता के लिए नए मानदंड तय किए गए।
7- यूएस एयर फ्लाइट 427, (बोइंग 727) हादसा:
8 सितंबर 1987 को अमेरिकी एयर फ्लाइट 427 का बोइंग 727 पिट्सबर्ग इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास पहुंचा। यह 6,000 फीट की ऊंचाई पर था, तभी अचानक रडार लेफ्ट साइड में खिसक गया। प्लेन गोता खाने लगा। क्रू ने इसे नियंत्रित करने की काफी कोशिश की,लेकिन इसे रोका नहीं जा सका। विमान में 132 लोग सवार थे।
मृतक : 132
वजह : रडार के लेफ्ट की ओर जाने से पायलट का विमान पर नियंत्रण हटना। पांच साल की जांच के बाद एनटीएसबी इस निष्कर्ष पर पहुंची कि एक वाल्व जाम होने की वजह से रडार सिस्टम अपनी जगह से हट गया। इससे यह हादसा हुआ।
विवाद : यूएस एयर ने बोइंग को दोष दिया और कंपनी ने क्रू मेंबर को दोषी बताया।
बदलाव : बोइंग ने 500 मिलियन डॉलर खर्च करके 28,00 जेट विमानों में पुराने रडार के पुर्जे बदलकर नए लगाए।
परिणाम : विमान हादसे में मारे गए यात्रियों के परिवारों की मदद के लिए एविएशन डिजास्टर फैमिली असिस्टेंस एक्ट पारित किया गया।
8- एस03ई06 वालू जेट फ्लाइट 572 हादसा :
11 मई 1996 को वालू जेट फ्लाइट 572 को फ्लोरिडा स्टेट की मियामी सिटी के इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 110 लोगों को लेकर अटलांटा के लिए उड़ान भरी थी। इसके कार्गो कंपार्टमेंट में आग लगने से एवरग्लेड्स में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह विमान तकनीकी कारणों से 1घंटा 4 मिनट की देरी से उड़ान भर सका था। दरअसल, यह 27 साल पुराना प्लेन था। पहली बार इसने 18 अप्रैल 1969 को उड़ान भरी थी। दो सालों से विमान में लगतार खराबी की शिकायतें आ रही थीं।
मृतक : 110
वजह : विमान में आग लगने से इलेक्ट्रिक आपूर्ति में गड़बड़ी आई और पायलट ने नियंत्रण खो दिया।
- यह आग केमिकल ऑक्सीजन जनरेटर्स की वजह से लगी थी। इन्हें गैर कानूनी तरीके एयरलाइंस मैंटेनेंस की ठेकेदार कंपनी ने विमान में रखा था।
- पायलट प्लेन को सही समय पर लैंड नहीं करवा सका।
बदलाव : सभी एयरलाइनर के लिए कार्गो कैबिन में आग बुझाने वाले ऑटोमैटिक उपकरण लगाना अनिवार्य किया।
-विमानों में ज्वलनशील पदार्थों को ले जाने पर कड़ाई से रोक लगा दी गई।
परिणाम: ऐसे कारणों वाले हादसे फिर देखने को नहीं मिले।
9- टीडब्ल्यूए फ्लाइट 800- बोइंग 747 हादसा :
17 जुलाई 1996 को जेएफके इंटरनेशनल एयरपोर्ट से पेरिस के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन यह अटलांटिक सागर में डूब गया। विमान में 230 लोग सवार थे।
मृतक: 230
कारण : विमान के मलबे को खोजा नहीं जा सका।
विवाद : मीडिया में अफवाहें थीं कि आतंकी संगठन ने हमला किया या मिसाइल हमले में विमान को गिराया गया। जांच एजेंसियों ने इससे इनकार किया। चार साल की जांच के बाद फ्यूल टैंक में आग लगने की आशंका जताई ।
बदलाव : विमानों में वायरिंग में स्पार्किंग की संभावनाओं को कम किया गया। बोइंग ने एक फ्यूल- इंटरिंग सिस्टम तैयार किया। यह फ्यूल टैंक में नाइट्रोजन गैस पहुंचाता है, जिससे विस्फोट की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
परिणाम : फ्यूल टैंक में आग लगने की संभावना काफी कम हो गई।
10- स्विसएयर फ्लाइट 111 हादसा :
स्विसएयर की फ्लाइट 111 (मैकडोनेल डगल एमडी 11) न्यूयॉर्क से जिनेवा जा रही थी। कॉकपिट से धुआं निकला और चार मिनट बाद पायलट ने हालिफैक्स की ओर विमान को नीचे किया। यह नोवा स्कोटिया से 65 किमी दूर अटलांटिक सागर में जा गिरा। विमान में 229 यात्री सवार थे।
मृतक : 229
कारण : कॉकपिट में आग लगना। यह प्लेन की एंटरटेनमेंट नेटवर्क में स्पार्किंग होने लगी थी।
बदलाव : मेयलर इंसुलेशन कंपनी ने 700 मैकडोनेल डगलस जेट की नई वायरिंग लगाई। इसे अग्निरोधी सामग्री के साथ लगाया गया।