विशव में हर साल बहुत सी पुरातात्विक खोजे की जाती है। इन खोजो से हमे हमारे पिछले समय के बारे में काफी जानकारी मिलती है। लेकिन कभी कभी कुछ ऐसी खोजे हो जाती है जिसका रहस्य वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाते है जैसे की सहारा के सुदूर रेगिस्तान में बना पत्थरो का ढांचा , या फिर कुछ ऐसी खोजे होती है जो वैज्ञानिको को हैरान कर के रख देती है जैसे की नवाडा में मिला विशाल इंसानी जबड़ा। हम आपको आज कुछ ऐसी ही खोजो के बारे में विस्तार से बताएँगे।
1. शुद्ध लोहे से बना करोडो साल पुराना हथोड़ा (Hammer of the purest iron alloy) :-
इस धरती पर अब तक हुई पुरातात्विक खोजो में से इस खोज ने वैज्ञानिको को सबसे ज्यादा हैरान किया है। अमेरिका में सन 1934 में 140 मिलियन साल पुरानी लाइमस्टोन की चट्टानों में एक लोहे की हथोडी मिली। जब वैज्ञानिको ने इसका प्रयोगशाला मेंअध्यन्न किया तो वो दो कारणों से हैरान रह गए। पहला की हथौड़े में लगा हुआ लकड़ी का हैंडल अंदर से कोयल बन चूका था, यानी की वो कई मिलियन साल पुरानी थी। दूसरा हैरान करने वाला कारण लोहे की एक दम शुद्ध अवस्था थी। इतना शुद्ध लोहा धरती की किसी भी खदान से आज तक नहीं निकला है। लोहे की शुद्धता का अंदाज़ा इस बात से पता चलता है की 1934 में उसे चट्टान से निकलते वक़्त खरोच लगी थी पर 80 साल बाद आज तक भी उस पर जंग लगने के कोई लक्षण नहीं है। वैज्ञानिक इस हथौड़े का अनुमानित समय 145 से 60 मिलियन साल पूर्व मानते है यानी की करोडो साल पूर्व जबकि मानव जाती ने 10000 साल पहले ही इस तरह के औजार बनाना सीखा है।
2.सहारा रेगिस्तान में पत्थरों से बना खगोलीय ढांचा (Astronomically aligned stones in Sahara desert ) :-
सहारा के सुदूर रेगिस्तान में स्तिथ पत्थरो का यह ढांचा दुनिया के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है। 1973 में पुरातत्व शास्त्री पहली बार यहां पहुंचे थे। 1998 में प्रोफेसर फ्रेड वैंडोर्फ की टीम ने पत्थरों के इस स्ट्रक्चर का अध्ययन किया तो पता चला कि ये करीब 6000 साल ईसा पूर्व में बनाया गया है। नाब्टा प्लाया में मिले पत्थर के स्ट्रक्चर पर रिसर्च करने से पता चला है कि ये खगोल शास्त्र और ज्योतिष से संबंधित थे। सवाल ये है कि इतनी सहस्र शताब्दियों पहले उन लोगों ने इतना विकास कैसे कर लिया था। तब वे इसका इस्तेमाल किस तरह करते थे? ये आज भी एक रहस्य बना हुआ है।
3. चीनी मोजैक लाइन्स (Chinese Mosaic lines) :-
तस्वीर में दिख रहे ये अजीबो-गरीब लकीरें 40 डिग्री 27'28.56 उत्तर व 93 डिग्री 23'24.42 पूर्व दिशा में देखी गई हैं। इस विचित्र कृति के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। चीन के गानसू शेंग के रेगिस्तान में ये लकीरें बनी हुई हैं। अंग्रेजी में इसे चीनी मोजैक लाइन्स कहा जाता है। कुछ आंकड़े बताते हैं कि 2004 में इन लकीरों को खींचा गया था। अहम बात ये है कि ये लकीरें मोगाओ की गुफा के आसपास बनाई गई हैं, जिसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा प्राप्त है। दिलचस्प पहलू यह है कि चट्टान के ऊबड़-खाबड़ होने के बाद भी लंबे अरसे से लकीरें बिल्कुल सीधी ही हैं।
4. पत्थर की गुड़िया (Stone Doll) :-
1889 में ईदाहो के नाम्पा में अचानक वैज्ञानिकों का रूझान बढ़ गया। वजह थी खुदाई के दौरान मिली पत्थर की गुड़िया। इसे मानव हाथों द्वारा बनाया गया है। पत्थर की ये गुड़िया 320 फीट की गहराई में खुदाई के दौरान मिली थी। इसे देख तब अंदाजा लगाया गया कि दुनिया में मानव जाति के अस्तित्व में आने के बाद शायद इस गुड़िया को बनाया गया होगा। हालांकि, पर्दे के पीछे की सच्चाई अभी भी अबूझ रहस्य बनी हुई है।
5. तीन सौ मिलियन साल पुराना लोहे का पेंच (Iron bolt, age 300 million years) :-
1998 में रूसी वैज्ञानिक दक्षिण-पश्चिम मॉस्को से करीब 300 किलोमीटर दूर एक उल्का के अवशेष की जांच कर रहे थे। इस दौरान उन्हें एक पत्थर का टुकड़ा मिला, जिसमें लोहे का पेंच संलग्न था। भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, ये पत्थर 300 मिलियन (30 करोड़) साल पुराना है। तब न तो कोई प्रबुद्ध प्रजाति हुआ करती थी और न ही धरती पर डायनासोर हुआ करते थे। पत्थर के बीच लोहे का पेंच साफ दिखाई पड़ता है। इसकी लंबाई एक सेंटीमीटर और व्यास तीन मिलीमीटर है।
6. प्राचीन रॉकेट जहाज - जापान (Ancient Missile Ship - Japan) :-
तस्वीर में आपको रॉकेट नुमा जहाज जैसा कुछ दिख रहा है। ये जापान की एक गुफा में बनी प्राचीन पेंटिंग है। बताया जाता है कि ये पेंटिंग 5, 000 ईसा पूर्व की है। खोजकर्ताओं के जेहन में ये सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या प्राचीनकाल में इस तरह का कोई विमान था। अगर नहीं, तो फिर इसे क्या सोच कर बनाया गया होगा।
7. खिसकते पत्थर - डेथ वैली, कैलिफोर्निया (Moving Stones - Death Valley, California) :-
कैलिफोर्निया की डेथ वैली में कुछ पत्थरों का खुद ब खुद खिसकना नासा के लिए भी अबूझ पहेली बनी हुई है। रेसट्रैक प्लाया 2.5 मील उत्तर से दक्षिण और 1.25 मील पूरब से पश्चिम ततक बिल्कुल सपाट है। लेकिन यहां बिखरे पत्थर खुद ब खुद खिसकते रहते हैं। यहां ऐसे 150 से भी अधिक पत्थर हैं। हालांकि, किसी ने उन्हें आंखों से खिसकते नहीं देखा। सर्दियों में ये पत्थर करीब 250 मीटर से ज्यादा दूर तक खिसके मिलते हैं। 1972 में इस रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई गई। टीम ने पत्थरों के एक ग्रुप का नामकरण कर उस पर सात साल अध्ययन किया। केरीन नाम का लगभग 317 किलोग्राम का पत्थर अध्ययन के दौरान जरा भी नहीं हिला। लेकिन जब वैज्ञानिक कुछ साल बाद वहां वापस लौटे, तो उन्होंने केरीन को 1 किलोमीटर दूर पाया। अब वैज्ञानिकों का यह मानना है कि तेज रफ्तार से चलने वाली हवाओं के कारण ऐसा होता है।
8. पिरामिड द पॉवर - मेक्सिको ( Pyramids the Power - Mexico) :-
इस प्राचीन मैक्सिकन शहर की दीवारें अभ्रक (mica) की बड़ी चादरों से बनी हैं। अभ्रक खदान के निकटतम जगह की बात करें, तो वह ब्राजील में है। लेकिन ये खदान शहर से हजारों मील की दूरी पर है। अभ्रक का इस्तेमाल प्रौद्योगिकी व ऊर्जा उत्पादन में किया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि इन इमारतों को बनाने के लिए बिल्डर ने अभ्रक जैसे खनिज का इस्तेमाल क्यों किया होगा। क्या आर्किटेक्ट शहर में बिजली के लिए स्रोत का दोहन कर रहे थे?
9. विशाल जीवाश्म - आयरलैंड (Fossil Giants - Ireland) :-
इस विशाल आइरिश जीवाश्म की लंबाई 12 फीट से ज्यादा है। इसकी खोज आयरलैंड के अंतरिम में खुदाई के दौरान हुई थी। इस तस्वीर को 'द ब्रिटिश स्ट्रैंड मैगजीन ऑफ दिसंबर 1895' से लिया गया है। मैगजीन के मुताबिक, जीवाश्म की लंबाई 12 फीट 2 इंच, सीने की परिधि 6 फीट 6 इंच, बाजुओं की लंबाई 4 फीट 6 इंच है। इसके अलावा दाएं पैर में छह अंगुलियां हैं।
10. पिरामिड ऑफ अटलांटिस - यूकैटन खाड़ी, क्यूबा (Pyramids of Atlantis - Yucatan Channel, Cuba) :-
क्यूबा के निकट तथाकथित यूकैटन खाड़ी में वैज्ञानिकों द्वारा मेगालिथ के खंडहर के रहस्य का पता लगाने का सिलसिला जारी है। इस खोज में वे तटीय क्षेत्र का मीलों लंबा सफर तय कर चुके हैं। जिन अमेरिकी पुरातत्वविदों ने इस जगह की खोज की, उन्होंने फौरन एक घोषणा कर कहा कि उन्होंने अटलांटिस ढूंढ निकाला है। अब ये स्कूबा डाइवर्स के लिए पसंदीदा जगहों में से एक है।
11. भीमकाय इंसानी जबड़ा - नेवाडा, अमेरिका (Giant Human Jaws, Nevada -America ) :-
ऐसा कहा जाता है कि नेवाडा में लाल बाल वाले 12 फीट लंबे इंसान रहा करते थे। ये कहानी अमेरिकियों द्वारा एक गुफा में भीमकाय लोगों की हत्या से जुड़ी है। 1911 में खुदाई के दौरान ये मानव जबड़ा मिला है। तस्वीर में सामान्य व भीमकाय जबड़े को एकसाथ तुलना कर दिखाया गया है। इसके अलावा 1931 में दो मानव कंकाल भी मिले थे, जिनकी लंबाई 8 व 10 फीट थी।
12. एल्युमीनियम कील - रोमानिया (Aluminium Wedge - Romania) :-
1974 में त्रानसिलवेनिया की मुर्स नदी में 20, 000 साल पुराने मैस्तदन की हड्डियों के साथ एक अलुमिनिम की कील मिली थी। इस कील पर आक्साइड की एक मिलीमीटर मोटी परत चढ़ी हुई थी। वैज्ञानिकों के मुताबिक, कील 300-400 साल पुरानी है। गौरतलब है कि अलुमिनियम हमेशा अन्य धातुओं के साथ मिश्रित पाया जाता है, लेकिन चार सौ साल पुरानी ये कील विशुद्ध अलुमिनियम की बनी हुई है। वैज्ञानिकों के बीच अबूझ पहेली ये है कि 1808 के पहले तक अलुमिनियम की खोज ही नहीं हुई थी। ऐसे में चार सौ साल पहले विशुद्ध अलुमिनियम कैसे आ सकता है।
13. लोलाडॉफ प्लेट - नेपाल (Plate Loladoffa - Nepal) :-
नेपाल में 12, 000 साल पहले पत्थर से बनी थाली का चलन था। हालांकि, इस थाली को देख यूएफओ की झलक दिखाई देती है। तस्वीर में आप देख सकते हैं कि थाली में एलियन नुमा आकृति बनी हुई है।
1. शुद्ध लोहे से बना करोडो साल पुराना हथोड़ा (Hammer of the purest iron alloy) :-
इस धरती पर अब तक हुई पुरातात्विक खोजो में से इस खोज ने वैज्ञानिको को सबसे ज्यादा हैरान किया है। अमेरिका में सन 1934 में 140 मिलियन साल पुरानी लाइमस्टोन की चट्टानों में एक लोहे की हथोडी मिली। जब वैज्ञानिको ने इसका प्रयोगशाला मेंअध्यन्न किया तो वो दो कारणों से हैरान रह गए। पहला की हथौड़े में लगा हुआ लकड़ी का हैंडल अंदर से कोयल बन चूका था, यानी की वो कई मिलियन साल पुरानी थी। दूसरा हैरान करने वाला कारण लोहे की एक दम शुद्ध अवस्था थी। इतना शुद्ध लोहा धरती की किसी भी खदान से आज तक नहीं निकला है। लोहे की शुद्धता का अंदाज़ा इस बात से पता चलता है की 1934 में उसे चट्टान से निकलते वक़्त खरोच लगी थी पर 80 साल बाद आज तक भी उस पर जंग लगने के कोई लक्षण नहीं है। वैज्ञानिक इस हथौड़े का अनुमानित समय 145 से 60 मिलियन साल पूर्व मानते है यानी की करोडो साल पूर्व जबकि मानव जाती ने 10000 साल पहले ही इस तरह के औजार बनाना सीखा है।
2.सहारा रेगिस्तान में पत्थरों से बना खगोलीय ढांचा (Astronomically aligned stones in Sahara desert ) :-
सहारा के सुदूर रेगिस्तान में स्तिथ पत्थरो का यह ढांचा दुनिया के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है। 1973 में पुरातत्व शास्त्री पहली बार यहां पहुंचे थे। 1998 में प्रोफेसर फ्रेड वैंडोर्फ की टीम ने पत्थरों के इस स्ट्रक्चर का अध्ययन किया तो पता चला कि ये करीब 6000 साल ईसा पूर्व में बनाया गया है। नाब्टा प्लाया में मिले पत्थर के स्ट्रक्चर पर रिसर्च करने से पता चला है कि ये खगोल शास्त्र और ज्योतिष से संबंधित थे। सवाल ये है कि इतनी सहस्र शताब्दियों पहले उन लोगों ने इतना विकास कैसे कर लिया था। तब वे इसका इस्तेमाल किस तरह करते थे? ये आज भी एक रहस्य बना हुआ है।
3. चीनी मोजैक लाइन्स (Chinese Mosaic lines) :-
तस्वीर में दिख रहे ये अजीबो-गरीब लकीरें 40 डिग्री 27'28.56 उत्तर व 93 डिग्री 23'24.42 पूर्व दिशा में देखी गई हैं। इस विचित्र कृति के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। चीन के गानसू शेंग के रेगिस्तान में ये लकीरें बनी हुई हैं। अंग्रेजी में इसे चीनी मोजैक लाइन्स कहा जाता है। कुछ आंकड़े बताते हैं कि 2004 में इन लकीरों को खींचा गया था। अहम बात ये है कि ये लकीरें मोगाओ की गुफा के आसपास बनाई गई हैं, जिसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा प्राप्त है। दिलचस्प पहलू यह है कि चट्टान के ऊबड़-खाबड़ होने के बाद भी लंबे अरसे से लकीरें बिल्कुल सीधी ही हैं।
4. पत्थर की गुड़िया (Stone Doll) :-
1889 में ईदाहो के नाम्पा में अचानक वैज्ञानिकों का रूझान बढ़ गया। वजह थी खुदाई के दौरान मिली पत्थर की गुड़िया। इसे मानव हाथों द्वारा बनाया गया है। पत्थर की ये गुड़िया 320 फीट की गहराई में खुदाई के दौरान मिली थी। इसे देख तब अंदाजा लगाया गया कि दुनिया में मानव जाति के अस्तित्व में आने के बाद शायद इस गुड़िया को बनाया गया होगा। हालांकि, पर्दे के पीछे की सच्चाई अभी भी अबूझ रहस्य बनी हुई है।
5. तीन सौ मिलियन साल पुराना लोहे का पेंच (Iron bolt, age 300 million years) :-
1998 में रूसी वैज्ञानिक दक्षिण-पश्चिम मॉस्को से करीब 300 किलोमीटर दूर एक उल्का के अवशेष की जांच कर रहे थे। इस दौरान उन्हें एक पत्थर का टुकड़ा मिला, जिसमें लोहे का पेंच संलग्न था। भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, ये पत्थर 300 मिलियन (30 करोड़) साल पुराना है। तब न तो कोई प्रबुद्ध प्रजाति हुआ करती थी और न ही धरती पर डायनासोर हुआ करते थे। पत्थर के बीच लोहे का पेंच साफ दिखाई पड़ता है। इसकी लंबाई एक सेंटीमीटर और व्यास तीन मिलीमीटर है।
6. प्राचीन रॉकेट जहाज - जापान (Ancient Missile Ship - Japan) :-
तस्वीर में आपको रॉकेट नुमा जहाज जैसा कुछ दिख रहा है। ये जापान की एक गुफा में बनी प्राचीन पेंटिंग है। बताया जाता है कि ये पेंटिंग 5, 000 ईसा पूर्व की है। खोजकर्ताओं के जेहन में ये सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या प्राचीनकाल में इस तरह का कोई विमान था। अगर नहीं, तो फिर इसे क्या सोच कर बनाया गया होगा।
7. खिसकते पत्थर - डेथ वैली, कैलिफोर्निया (Moving Stones - Death Valley, California) :-
कैलिफोर्निया की डेथ वैली में कुछ पत्थरों का खुद ब खुद खिसकना नासा के लिए भी अबूझ पहेली बनी हुई है। रेसट्रैक प्लाया 2.5 मील उत्तर से दक्षिण और 1.25 मील पूरब से पश्चिम ततक बिल्कुल सपाट है। लेकिन यहां बिखरे पत्थर खुद ब खुद खिसकते रहते हैं। यहां ऐसे 150 से भी अधिक पत्थर हैं। हालांकि, किसी ने उन्हें आंखों से खिसकते नहीं देखा। सर्दियों में ये पत्थर करीब 250 मीटर से ज्यादा दूर तक खिसके मिलते हैं। 1972 में इस रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई गई। टीम ने पत्थरों के एक ग्रुप का नामकरण कर उस पर सात साल अध्ययन किया। केरीन नाम का लगभग 317 किलोग्राम का पत्थर अध्ययन के दौरान जरा भी नहीं हिला। लेकिन जब वैज्ञानिक कुछ साल बाद वहां वापस लौटे, तो उन्होंने केरीन को 1 किलोमीटर दूर पाया। अब वैज्ञानिकों का यह मानना है कि तेज रफ्तार से चलने वाली हवाओं के कारण ऐसा होता है।
8. पिरामिड द पॉवर - मेक्सिको ( Pyramids the Power - Mexico) :-
इस प्राचीन मैक्सिकन शहर की दीवारें अभ्रक (mica) की बड़ी चादरों से बनी हैं। अभ्रक खदान के निकटतम जगह की बात करें, तो वह ब्राजील में है। लेकिन ये खदान शहर से हजारों मील की दूरी पर है। अभ्रक का इस्तेमाल प्रौद्योगिकी व ऊर्जा उत्पादन में किया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि इन इमारतों को बनाने के लिए बिल्डर ने अभ्रक जैसे खनिज का इस्तेमाल क्यों किया होगा। क्या आर्किटेक्ट शहर में बिजली के लिए स्रोत का दोहन कर रहे थे?
9. विशाल जीवाश्म - आयरलैंड (Fossil Giants - Ireland) :-
इस विशाल आइरिश जीवाश्म की लंबाई 12 फीट से ज्यादा है। इसकी खोज आयरलैंड के अंतरिम में खुदाई के दौरान हुई थी। इस तस्वीर को 'द ब्रिटिश स्ट्रैंड मैगजीन ऑफ दिसंबर 1895' से लिया गया है। मैगजीन के मुताबिक, जीवाश्म की लंबाई 12 फीट 2 इंच, सीने की परिधि 6 फीट 6 इंच, बाजुओं की लंबाई 4 फीट 6 इंच है। इसके अलावा दाएं पैर में छह अंगुलियां हैं।
10. पिरामिड ऑफ अटलांटिस - यूकैटन खाड़ी, क्यूबा (Pyramids of Atlantis - Yucatan Channel, Cuba) :-
क्यूबा के निकट तथाकथित यूकैटन खाड़ी में वैज्ञानिकों द्वारा मेगालिथ के खंडहर के रहस्य का पता लगाने का सिलसिला जारी है। इस खोज में वे तटीय क्षेत्र का मीलों लंबा सफर तय कर चुके हैं। जिन अमेरिकी पुरातत्वविदों ने इस जगह की खोज की, उन्होंने फौरन एक घोषणा कर कहा कि उन्होंने अटलांटिस ढूंढ निकाला है। अब ये स्कूबा डाइवर्स के लिए पसंदीदा जगहों में से एक है।
11. भीमकाय इंसानी जबड़ा - नेवाडा, अमेरिका (Giant Human Jaws, Nevada -America ) :-
ऐसा कहा जाता है कि नेवाडा में लाल बाल वाले 12 फीट लंबे इंसान रहा करते थे। ये कहानी अमेरिकियों द्वारा एक गुफा में भीमकाय लोगों की हत्या से जुड़ी है। 1911 में खुदाई के दौरान ये मानव जबड़ा मिला है। तस्वीर में सामान्य व भीमकाय जबड़े को एकसाथ तुलना कर दिखाया गया है। इसके अलावा 1931 में दो मानव कंकाल भी मिले थे, जिनकी लंबाई 8 व 10 फीट थी।
12. एल्युमीनियम कील - रोमानिया (Aluminium Wedge - Romania) :-
1974 में त्रानसिलवेनिया की मुर्स नदी में 20, 000 साल पुराने मैस्तदन की हड्डियों के साथ एक अलुमिनिम की कील मिली थी। इस कील पर आक्साइड की एक मिलीमीटर मोटी परत चढ़ी हुई थी। वैज्ञानिकों के मुताबिक, कील 300-400 साल पुरानी है। गौरतलब है कि अलुमिनियम हमेशा अन्य धातुओं के साथ मिश्रित पाया जाता है, लेकिन चार सौ साल पुरानी ये कील विशुद्ध अलुमिनियम की बनी हुई है। वैज्ञानिकों के बीच अबूझ पहेली ये है कि 1808 के पहले तक अलुमिनियम की खोज ही नहीं हुई थी। ऐसे में चार सौ साल पहले विशुद्ध अलुमिनियम कैसे आ सकता है।
13. लोलाडॉफ प्लेट - नेपाल (Plate Loladoffa - Nepal) :-
नेपाल में 12, 000 साल पहले पत्थर से बनी थाली का चलन था। हालांकि, इस थाली को देख यूएफओ की झलक दिखाई देती है। तस्वीर में आप देख सकते हैं कि थाली में एलियन नुमा आकृति बनी हुई है।