आज हम आपको दिल्ली के ऐसे गुमनाम महल के बारे में बताते है जिसके बारे में अधिकतर दिल्ली वासी भी नहीं जानते है यह है दिल्ली के दक्षिण रिज़ के बीहड़ों में छुपा 'मालचा महल' जिसमे पिछले 28 सालो से अवध राजघराने के वंशज राजकुमार 'रियाज़' (Prince Riaz) और राजकुमारी 'सकीना महल' (Princess Sakina Mahal) रह रहे है। पहले इनके साथ इनकी माँ 'विलायत महल' भी रहा करती थी जिन्होंने 10 सितंबर 1993 को आत्महत्या कर ली थी। इस महल तक जाने का रास्ता सरदार पटेल मार्ग से जाता है। लेकिन इस महल में अंदर जाने की इज़ाज़त किसी को नहीं है। उस महल तक पहुंचने के एक मात्र रास्ते पर लगा है लोहे का ग्रिल, जिस पर हल्की-सी आहट होते ही कुत्ते भौंकना शुरु कर देते हैं । चारों ओर कंटीली तार के बाड़े से घिरे उस महल के प्रवेश द्वार पर लगे पत्थर पर लिखा है, रूलर्स ऑफ अवध: 'प्रिंसेस विलायत महल' (Rulers of Oudh - Princess Vilayat Mahal) .
इस इमारत में न बिजली है, न पानी, पर एक टेलिफोन जरूर लगा हुआ है। जहां तक ट्रांसपोर्ट का सवाल है तो इसके नाम सिर्फ एक साइकल मौजूद है। जब 1985 में विलायत महल यहाँ रहने आई थी तो उनके साथ उनके बच्चो के अलावा 12 कुत्ते और पाँच नेपाली नौकर साथ थे। लेकिन अब महल में राजकुमार, राजकुमारी और कुछ कुत्ते बचे है।
फ़िरोज़ शाह तुगलक ने कराया था निर्माण ( Built by Feroz Shah Tughlaq) :
अब लगभग खंडहर हो चुके इस महल का निर्माण आज से 700 साल पूर्व फ़िरोज़ शाह तुगलक ने कराया था। यह महल उसकी शिकारगाह था। पहाड़ी पर बने इस महल में करीब 10 खिड़की और दरवाज़े है पर इनमे से एक किवाड़ नहीं है। इस चौकोर रूप के महल के हर ओर 6 यानी कुल 24 मेहराब (आर्च) हैं। मरम्मत न होने के चलते इनमें से अब 3 आर्च ही सलामत हैं, जिनमें राजकुमार और राजकुमारी रह रहे हैं।
कहानी विलायत महल के मालचा महल पहुँचने कि (Story of Vilayat Mahal to Reach Malcha Mahal):
अब सवाल यह है कि आखिर कैसे विलायत महल लखनऊ छोड़कर वीरान और खंडहर हो चुके मालचा महल पहुँची। इस कहानी की शरुआत होती है इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने से। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने से पूर्व सभी राजा - महाराजाओं को सरकार की तरफ से पेंशन मिला करती थी पर जब इंदिरा गांधी, प्रधानमन्त्री बनी तो उन्होंने पेंशन बंद कर दी। इससे उन राजा - महाराजाओं के तो कुछ फर्क नहीं पढ़ा जिनके पास या तो पुश्तैनी दौलत थी या फिर कमाई के अन्य स्रोत थे। लेकिन जिनके पास दोनों में से कुछ नहीं था उनके सामने संकट खड़ा हो गया। इनमे से ही एक थी विलायत महल, जिनके पति कि मृत्यु हो चुकी थी और कमाई का कोई स्रोत नहीं था।
कोई उपाय न देखकर विलायत महल ने सन 1975 में अपने दोनों बच्चे रियाज व सकीना सहित , 12 कुत्तों और और पांच नौकरों के साथ लखनऊ से दिल्ली की ओर रुख किया और यहां के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के एक प्लेटफॉर्म पर डेरा डाल दिया । बाद में वह अपने कुनबे के साथ प्लेटफॉर्म से उठकर वीआईपी वेटिंग लांज पहुंची और वहां कब्जा कर लिया ।
विलायत महल अपने कुनबे के साथ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर करीब नौ वर्ष तक रहीं, जिसमें से लगातार तीन वर्ष धरना देकर अपने अपने अधिकार की मांग करती रहीं । उनके धरने की खबर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कानों तक पहुंची । जिस वर्ष इंदिरा गांधी की हत्या हुई उसी वर्ष इंदिरा गांधी विलायत महल व उनके बच्चों के हालात का जायजा लेने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंची । इंदिरा गांधी को देखते ही विलायत महल फट पड़ी । किसी तरह उन्हें शांत किया गया । इंदिरा गांधी ने उन्हें कहीं और रहने के लिए ठिकाना उपलब्ध कराने का वचन दिया । विलायत महल की मांग थी कि उन्हें रहने के लिए ऐसी जगह मुहैया कराई जाए, जहां आम आदमी उनकी जिंदगी में ताक-झांक न कर सके । जगह की तलाश खत्म हुई सरदार पटेल मार्ग स्थित सेंट्रल रिज एरिया में ।
सेंट्रल रिज एरिया में मालचा महल स्थित है, जो ऊंची पहाड़ी पर तो स्थित है ही, जंगल से भी घिरा है । यह एक अनजान स्मारक है, जहां के बारे में आज भी दिल्ली के अधिकांश निवासी नहीं जानते हैं । जानकारी के मुताबिक इंदिरा गांधी की मौत के बाद वर्ष 1985 में उनके बेटे व तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विलायत महल को मालचा महल में रहने के लिए स्वीकृति पत्र प्रदान किया था, जिसमें उन्हें नवाब वाजिद अली शाह का वंशज बताया गया था ।
बेगम विलायत महल की आत्महत्या (Suicide of begum Vilayat Mahal) :-
10 सितम्बर 1993 को विलायत महल ने आत्महत्या कर ली थी। कहते है की वो गुमनामी से डिप्रेसन में चली गई थी इसलिए उन्होंने अपनी अंगूठी के हीरे को तोड़कर खा लिया था। उनके बच्चो ने पहले उन्हें दफना दिया था, लेकिन 1994 में खजाने के लिए उनकी कब्र को खोदने की घटना के बाद उनके बेटे ने उन्हें निकालकर जला दिया। उनकी राख महल में ही एक जार में रखी है। वर्तमान में राजकुमार व राजकुमारी की हालत कैसी है इसके बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं है। दोनों की ही उम्र इस वक़्त 55 साल से ऊपर है। राजकुमार तो फिर भी दिखाई दे जाते है जब वो खुद के लिए राशन लाने और कुत्तो के लिए मीट लाने बाहर निकलते है। लेकिन वो लोगों की बातो का कम ही जवाब देते है और यदि कोई भी उनसे ज्यादा पूछ - ताछ करता है तो वो उस पर रिवाल्वर तान देते है।
राजकुमारी सकीना महल ने लिखी है किताब (Princess Sakina mahal wrote a book) :
राजकुमार और राजकुमारी दोनों ही विलायत में पढ़े हुए है और की अंग्रेजी बहुत अच्छी है। राजकुमारी सकीना महल ने अपनी मां बेगम विलायत महल पर एक किताब लिखी है, जिसका नाम है ‘प्रिंसेस विलायत महल : अनसीन प्रेजंस’ है। यह बुक नीदरलैंड, फ्रांस और ब्रिटेन की लाइब्रेरी में तो मौजूद है, लेकिन भारत में नहीं। इस किताब में विलायत महल के जीवन के कई पहलुओं को उकेरा गया है। बेगम विलायत महल की दादी बेगम ताजआरा का भी इसमें जिक्र है।
गहने बेचकर चलाते है खर्चा :
राजकुमार के अनुसार उनके पास काफी पुश्तैनी ज्वैलरी थी जिसको बेच कर वो अपना खर्चा चलाते है। उनके अनुसार उनके पास एक तोप भी है जिसकी की बहुत ऊंची बोली लग चुकी है लेकिन वो इसे बेचते नहीं है क्योकि वो अवध खानदान की शान है। इनके अधिकतर रिश्तेदार ब्रिटेन में रहते है।
दिल्ली के टॉप मोस्ट हॉन्टेड प्लेस में होता है शुमार (It is one of the most haunted place Dehli) :
लोगो का मानना है की बेगम विलायत महल की आत्मा आज भी इसी महल में भटकती है और इसलिए इस जगह को दिल्ली के टॉप हॉन्टेड प्लेस में शामिल किया जाता है। अब ये हॉन्टेड है या नहीं, पता नहीं, लेकिन इतना जरूर यह जगह रात को डरावनी और दिन में रहस्यमयी नज़र आती है।
बीबीसी रिपोर्टर Alex Ninian को दिया था एक मात्र इंटरव्यू :
इन दोनों ने एक बार बीबीसी रिपोर्टर को अपने महल में बुलाकर इंटरव्यू दिया था इस इंटरव्यू में प्रिंस ने कहा था की उसे विश्वास है की वो अपनी बहन से पहले मरेगा और प्रिंसेस परम्परा का पालन करते हुए आत्महत्या कर लेगी। जब रिपोर्टर ने पूछा यदि प्रिंसेस पहले मर गई तो क्या आप ऐसा करेंगे तो उन्होंने कुछ नहीं कहा।
Image credit Vikramjit Singh Rooprai |
लोहे की रेलिंग पर लगा कुत्तो से सावधान का बोर्ड |
अब लगभग खंडहर हो चुके इस महल का निर्माण आज से 700 साल पूर्व फ़िरोज़ शाह तुगलक ने कराया था। यह महल उसकी शिकारगाह था। पहाड़ी पर बने इस महल में करीब 10 खिड़की और दरवाज़े है पर इनमे से एक किवाड़ नहीं है। इस चौकोर रूप के महल के हर ओर 6 यानी कुल 24 मेहराब (आर्च) हैं। मरम्मत न होने के चलते इनमें से अब 3 आर्च ही सलामत हैं, जिनमें राजकुमार और राजकुमारी रह रहे हैं।
Image credit Vikramjit Singh Rooprai |
कहानी विलायत महल के मालचा महल पहुँचने कि (Story of Vilayat Mahal to Reach Malcha Mahal):
अब सवाल यह है कि आखिर कैसे विलायत महल लखनऊ छोड़कर वीरान और खंडहर हो चुके मालचा महल पहुँची। इस कहानी की शरुआत होती है इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने से। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने से पूर्व सभी राजा - महाराजाओं को सरकार की तरफ से पेंशन मिला करती थी पर जब इंदिरा गांधी, प्रधानमन्त्री बनी तो उन्होंने पेंशन बंद कर दी। इससे उन राजा - महाराजाओं के तो कुछ फर्क नहीं पढ़ा जिनके पास या तो पुश्तैनी दौलत थी या फिर कमाई के अन्य स्रोत थे। लेकिन जिनके पास दोनों में से कुछ नहीं था उनके सामने संकट खड़ा हो गया। इनमे से ही एक थी विलायत महल, जिनके पति कि मृत्यु हो चुकी थी और कमाई का कोई स्रोत नहीं था।
Royal family living in first class waiting room New Delhi Railway station 1981 Source: Society magazine India 1981 |
Source: Society magazine India 1981 |
Source: Society magazine India 1981 |
बेगम विलायत महल की आत्महत्या (Suicide of begum Vilayat Mahal) :-
10 सितम्बर 1993 को विलायत महल ने आत्महत्या कर ली थी। कहते है की वो गुमनामी से डिप्रेसन में चली गई थी इसलिए उन्होंने अपनी अंगूठी के हीरे को तोड़कर खा लिया था। उनके बच्चो ने पहले उन्हें दफना दिया था, लेकिन 1994 में खजाने के लिए उनकी कब्र को खोदने की घटना के बाद उनके बेटे ने उन्हें निकालकर जला दिया। उनकी राख महल में ही एक जार में रखी है। वर्तमान में राजकुमार व राजकुमारी की हालत कैसी है इसके बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं है। दोनों की ही उम्र इस वक़्त 55 साल से ऊपर है। राजकुमार तो फिर भी दिखाई दे जाते है जब वो खुद के लिए राशन लाने और कुत्तो के लिए मीट लाने बाहर निकलते है। लेकिन वो लोगों की बातो का कम ही जवाब देते है और यदि कोई भी उनसे ज्यादा पूछ - ताछ करता है तो वो उस पर रिवाल्वर तान देते है।
राजकुमारी सकीना महल ने लिखी है किताब (Princess Sakina mahal wrote a book) :
राजकुमार और राजकुमारी दोनों ही विलायत में पढ़े हुए है और की अंग्रेजी बहुत अच्छी है। राजकुमारी सकीना महल ने अपनी मां बेगम विलायत महल पर एक किताब लिखी है, जिसका नाम है ‘प्रिंसेस विलायत महल : अनसीन प्रेजंस’ है। यह बुक नीदरलैंड, फ्रांस और ब्रिटेन की लाइब्रेरी में तो मौजूद है, लेकिन भारत में नहीं। इस किताब में विलायत महल के जीवन के कई पहलुओं को उकेरा गया है। बेगम विलायत महल की दादी बेगम ताजआरा का भी इसमें जिक्र है।
गहने बेचकर चलाते है खर्चा :
राजकुमार के अनुसार उनके पास काफी पुश्तैनी ज्वैलरी थी जिसको बेच कर वो अपना खर्चा चलाते है। उनके अनुसार उनके पास एक तोप भी है जिसकी की बहुत ऊंची बोली लग चुकी है लेकिन वो इसे बेचते नहीं है क्योकि वो अवध खानदान की शान है। इनके अधिकतर रिश्तेदार ब्रिटेन में रहते है।
दिल्ली के टॉप मोस्ट हॉन्टेड प्लेस में होता है शुमार (It is one of the most haunted place Dehli) :
लोगो का मानना है की बेगम विलायत महल की आत्मा आज भी इसी महल में भटकती है और इसलिए इस जगह को दिल्ली के टॉप हॉन्टेड प्लेस में शामिल किया जाता है। अब ये हॉन्टेड है या नहीं, पता नहीं, लेकिन इतना जरूर यह जगह रात को डरावनी और दिन में रहस्यमयी नज़र आती है।
बीबीसी रिपोर्टर Alex Ninian को दिया था एक मात्र इंटरव्यू :
इन दोनों ने एक बार बीबीसी रिपोर्टर को अपने महल में बुलाकर इंटरव्यू दिया था इस इंटरव्यू में प्रिंस ने कहा था की उसे विश्वास है की वो अपनी बहन से पहले मरेगा और प्रिंसेस परम्परा का पालन करते हुए आत्महत्या कर लेगी। जब रिपोर्टर ने पूछा यदि प्रिंसेस पहले मर गई तो क्या आप ऐसा करेंगे तो उन्होंने कुछ नहीं कहा।