भानगढ़ का किला - अलवर - यह है भारत का मोस्ट हॉन्टेड किला

वैसे तो हमारे देश में बहुत से हॉन्टेड प्लेस है लेकिन इस लिस्ट में जिसका नाम सबसे ऊपर आता है वो है भानगढ़ का किला (Bhangarh Fort)। जो कि बोलचाल में "भूतो का भानगढ़" नाम से ज्यादा प्रसिद्ध है।
Market of Bhangarh
भानगढ़ का खंडहर हो चूका बाज़ार 



भानगढ़(Bhangarh) कि कहानी बड़ी ही रोचक है 16 वि शताब्दी में भानगढ़ बसता है।  300 सालो तक  भानगढ़ खूब फलता फूलता है।  फिर यहाँ कि एक सुन्दर राजकुमारी  पर काले जादू में महारथ तांत्रिक सिंधु सेवड़ा आसक्त हो जाता है। वो राजकुमारी  को वश में करने लिए काला जादू करता है पर खुद ही उसका शिकार हो कर मर जाता है पर मरने से पहले भानगढ़ को बर्बादी का श्राप दे जाता है और संयोग से उसके एक महीने बाद ही पड़ौसी राज्य अजबगढ़ से लड़ाई में राजकुमारी सहित सारे भानगढ़ वासी मारे जाते है और भानगढ़  वीरान हो जाता है। तब से वीरान हुआ भानगढ आज तक वीरान है और कहते है कि उस लड़ाई में मारे गए लोगो के भूत आज भी रात को भानगढ़ के किले में भटकते है।क्योकि तांत्रिक के श्राप के कारण उन सब कि मुक्ति नहीं हो पाई थी।  तो यह है भानगढ़ कि कहानी जो कि लगती फ़िल्मी है पर है असली। तो आइये अब हम आपको भानगढ़ के उत्थान से पतन कि यह कहानी विस्तार से बताते है।
Bhangarh Fort
भानगढ़ का किला 

भानगढ़ - एक परिचय (Bhangarh - An Introduction) :- 
भानगढ़ का किला, राजस्थान के अलवर जिले में स्तिथ है।  इस किले सी कुछ किलोमीटर कि दुरी पर विशव प्रसिद्ध सरिस्का राष्ट्रीय उधान (Sariska National Park) है।  भानगढ़ तीन तरफ़ पहाड़ियों से सुरक्षित है। सामरिक दृष्टि से किसी भी राज्य के संचालन के यह उपयुक्त स्थान है। सुरक्षा की दृष्टि से इसे भागों में बांटा गया है। सबसे पहले एक बड़ी प्राचीर है जिससे दोनो तरफ़ की पहाड़ियों को जोड़ा गया है। इस प्राचीर के मुख्य द्वार पर हनुमान जी विराजमान हैं। इसके पश्चात बाजार प्रारंभ होता है, बाजार की समाप्ति के बाद राजमहल के परिसर के विभाजन के लिए त्रिपोलिया द्वार बना हुआ है। इसके पश्चात राज महल स्थित है। इस किले में कई मंदिर भी है जिसमे भगवान सोमेश्वर, गोपीनाथ, मंगला देवी और केशव राय के मंदिर प्रमुख मंदिर हैं। इन मंदिरों की दीवारों और खम्भों पर की गई नक़्क़ाशी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह समूचा क़िला कितना ख़ूबसूरत और भव्य रहा होगा। सोमेश्वर मंदिर के बगल में एक बाबड़ी  है जिसमें अब भी आसपास के गांवों के लोग नहाया करते हैं। 
महल परिसर में स्तिथ बाबड़ी 

भानगढ़ का इतिहास (History Of Bhangarh) :-
भानगढ़ क़िले को आमेर के राजा भगवंत दास ने 1573  में बनवाया था। भानगढ़ के बसने के बाद लगभग 300 वर्षों तक यह आबाद रहा।  मुग़ल शहंशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल और भगवंत दास के छोटे बेटे व अम्बर(आमेर ) के महान मुगल सेनापति, मानसिंह के छोटे भाई राजा माधो सिंह ने बाद में (1613) इसे अपनी रिहाइश बना लिया।  माधौसिंह के बाद उसका पुत्र छत्र सिंह गद्दी पर बैठा।  विक्रम संवत 1722 में इसी वंश के हरिसिंह ने गद्दी संभाली।इसके साथ ही भानगढ की चमक कम होने लगी। छत्र सिंह के बेटे अजब सिह ने समीप ही अजबगढ़ बनवाया और वहीं रहने लगा। यह समय औरंगजेब के शासन का था। औरंगजेब कट्टर पंथी मुसलमान था। उसने अपने बाप को नहीं छोड़ा तो इन्हे कहाँ छोड़ता। उसके दबाव में आकर हरिसिंह के दो बेटे मुसलमान हो गए, जिन्हें मोहम्मद कुलीज एवं मोहम्मद दहलीज के नाम से जाना गया। इन दोनों भाईयों के मुसलमान बनने एवं औरंगजेब की शासन पर पकड़ ढीली होने पर जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह ने इन्हे मारकर भानगढ़ पर कब्जा कर लिया तथा माधो सिंह के वंशजों को गद्दी दे दी। 

khandhar ho chuka bhangarh killa
भानगढ़ किले कि ऊपरी मंजिले जो कि बिल्कुल खंडहर हो चुकी हैं 

राजकुमारी रत्‍नावती और तांत्रिक सिंधु सेवड़ा (Rajkumari Ratnawati aur Tantarik Sindhu Devada) :-

कहते है कि भानगढ़ कि राजकुमारी  रत्‍नावती बेहद खुबसुरत थी। उस समय उनके रूप की चर्चा पूरे राज्‍य में थी और देश के कोने कोने के राजकुमार उनसे विवाह करने के इच्‍छुक थे। उस समय उनकी उम्र महज 18 वर्ष ही थी और उनका यौवन उनके रूप में और निखार ला चुका था। उस समय कई राज्‍यो से उनके लिए विवाह के प्रस्‍ताव आ रहे थे। उसी दौरान वो एक बार किले से अपनी सखियों के साथ बाजार में निकती थीं। राजकुमारी रत्‍नावती एक इत्र की दुकान पर पहुंची और वो इत्रों को हाथों में लेकर उसकी खुशबू ले रही थी। उसी समय उस दुकान से कुछ ही दूरी  सिंधु सेवड़ा नाम का व्‍यक्ति खड़ा होकर उन्‍हे बहुत ही गौर से देख रहा था।
सिंधु सेवड़ा उसी राज्‍य में रहता था और वो काले जादू का महारथी था। ऐसा बताया जाता है कि वो राजकुमारी के रूप का दिवाना था और उनसे प्रगाण प्रेम करता था। वो किसी भी तरह राजकुमारी को हासिल करना चाहता था। इसलिए उसने उस दुकान के पास आकर एक इत्र के बोतल जिसे रानी पसंद कर रही थी उसने उस बोतल पर काला जादू कर दिया जो राजकुमारी के वशीकरण के लिए किया था। लेकिन एक विश्वशनीय व्यक्ति ने राजकुमारी को इस राज के बारे में बता दिया।
Cottage of Sindhu Sevda at Hill Top
पहाड़ी कि चोटी पर तांत्रिक सिंधु सेवड़ा कि छतरी (जहा वो तांत्रिक साधना करता था )

राजकुमारी रत्‍नावती ने उस इत्र के बोतल को उठाया, लेकिन उसे वही पास के एक पत्‍थर पर पटक दिया। पत्‍थर पर पटकते ही वो बोतल टूट गया और सारा इत्र उस पत्‍थर पर बिखर गया। इसके बाद से ही वो पत्‍थर फिसलते हुए उस तांत्रिक सिंधु सेवड़ा के पीछे चल पड़ा और तांत्रिक को कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी। मरने से पहले तांत्रिक ने श्राप दिया कि इस किले में रहने वालें सभी लोग जल्‍द ही मर जायेंगे और वो दोबारा जन्‍म नहीं ले सकेंगे और ताउम्र उनकी आत्‍माएं इस किले में भटकती रहेंगी।

उस तांत्रिक के मौत के कुछ दिनों के बाद ही भानगढ़  और अजबगढ़ के बीच युद्ध हुआ जिसमें किले में रहने वाले सारे लोग मारे गये। यहां तक की राजकुमारी रत्‍नावती भी उस शाप से नहीं बच सकी और उनकी भी मौत हो गयी। एक ही किले में एक साथ इतने बड़े कत्‍लेआम के बाद वहां मौत की चींखें गूंज गयी और आज भी उस किले में उनकी रू‍हें घुमती हैं।

किलें में सूर्यास्‍त के बाद प्रवेश निषेध (Entrance Prohibited after Sunset) :-
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा खुदाई से इस बात के पर्याप्त सबूत मिले हैं कि यह शहर एक प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है। फिलहाल इस किले की देख रेख भारत सरकार द्वारा की जाती है। किले के चारों तरफ आर्कियोंलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) की टीम मौजूद रहती हैं। एएसआई ने सख्‍त हिदायत दे रखी  है कि सूर्यास्‍त के बाद इस इलाके में किसी भी व्‍यक्ति के रूकने के लिए मनाही है। 
Notice board of ASI at Bhangarh fort


भारतीय पुरातत्व के द्वारा इस खंडहर को संरक्षित कर दिया गया है। गौर करने वाली बात है जहाँ पुरात्तव विभाग ने हर संरक्षित क्षेत्र में अपने ऑफिस बनवाये है वहीँ इस किले के संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग ने अपना ऑफिस भानगढ़ से दूर बनाया है।

भानगढ़ किले के मंदिर ( Temple of Bhangarh) :-
जैसा कि हमने आपको बताया कि इस किले में कई मंदिर भी है जिसमे भगवान सोमेश्वर, गोपीनाथ, मंगला देवी और केशव राय के मंदिर प्रमुख मंदिर हैं। 
Someshwar mahadev temple at Bhangarh Fort
सोमेश्वर महादेव मंदिर 

इन मंदिरो कि एक यह विशेषता है कि जहाँ किले सहित पूरा भानगढ़ खंडहर में तब्दील हो चूका है वही भानगढ़ के सारे के सारे मंदिर सही है अलबत्ता अधिकतर मंदिरो से मुर्तिया गायब है। सोमेश्वर महादेव मंदिर में जरूर शिवलिंग है। 

Shivlinga at Someshwar mahadev temple at Bhangarh fort
सोमेश्वर महादेव मंदिर के गर्भ गृह में स्तिथ शिवलिंग 

दूसरी बात भानगढ़ के सोमेशवर महादेव मंदिर में सिंधु सेवड़ा तांत्रिक के वंशज ही पूजा पाठ कर रहे है। ऐसा हमे 2009 में हमारी भानगढ़ यात्रा के दौरान उस मंदिर के पुजारी ने बताया था। जब हमने उनसे भूतों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि यहाँ भूत है यह बात सही है पर वो भूत केवल किले के अंदर ही रहते है किले से निचे नहीं आते है क्योकि किले के बिलकुल पास भोमिया जी का स्थान है वो उन्हें किले से बाहर नहीं आने देते है। उन्होंने यह भी कहा कि रात के समय आप महल परिसर में रह सकते है कोई दिक्क्त नहीं है पर किले के अंदर नहीं जाना चाहिए। 

Mangala Mata temple at Bhangarh Fort
मंगला माता मंदिर 

तो यह है भानगढ़ कि कहानी अब वहाँ भूत है कि नहीं यह एक विवाद का विषय हो  सकता है पर यह जरूर है कि भानगढ़ एक बार घूमने लायक जगह है और यदि आप भानगढ़ घूमने का प्रोग्राम बनाये तो हमारी यह राय है कि आप वहा सावन ( जुलाई -अगस्त ) में जाए क्योकि भानगढ़ तीनो तरफ से अरावली कि पहाड़ियो से घिरा हुआ है और  सावन में उन पहाड़ियो में बहार आ जाती है। और यदि आपको सोमेशवर महादेव मंदिर के पुजारी से भानगढ़ का इतिहास सुनना हो तो आप सोमवार के दिन जाए क्योंकि पुजारी जी सोमवार को पूरा दिन मंदिर में रहते है बाकी दिन तो सुबह पूजा करके वापस चले जाते है।

Gopinath temple at Bhangarh Fort
गोपीनाथ मंदिर
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