भूत होते है या नहीं ये सदा से ही एक बहस का मुद्दा रहा है। भूत - प्रेतों पर विश्वास और अविश्वास करने वाले इस बारे में अपने अपने तर्क देते है। हम इन पर विश्वास करे या ना करे पर हर धर्म में और हर सभ्यता में पारलौकिक ताकतों का वर्णन है। हाल ही में पारलौकिक शक्तियों कि इन्वेस्टीगेशन करने वाली संस्था Team Pentacle द्वारा गोवा में पूर्तगाली शासनकाल के समय के वीरान पड़े बंगलों में, अपने अत्याधुनिक उपकरणों के साथ पारलौकिक शक्तियों कि खोज कि गयी। अपनी इन्वेस्टिगेशन के दौरान टीम ने न सिर्फ अदृश्य ताकत को कैमरे में कैद किया बल्कि उसकी आवाज भी रिकॉर्ड की है। गोवा में घोस्ट हंटिंग
गोवा की राजधानी पणजी से करीब एक-डेढ़ घंटे की दूरी पर एक गांव में स्थित ये 100 साल से ज्यादा पुराने बंगले वहां रहने वाले पुर्तगालियों द्वारा बनाए गए थे। ये बेहद खूबसूरत बंगले अब सुनसान पड़े हैं। वजह, जो भी इनमें रहने जाता है, उन्हें अदृश्य ताकतें परेशान करने लगती हैं और अंतत: उन्हें घर छोडऩा पड़ता है।
'टीम पेंटेकल' के प्रेसिडेंट शिशिर कुमार सदस्यों- रोहित शर्मा, निशा वर्मा, विवेक जैन और विवेक तलवार के साथ 28 फरवरी को किसी दूसरे पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन के तहत गोवा में थे। तभी वहां के ग्रामीणों ने उन्हें उक्त बंगलों के बारे में बताया।
रांची में रहने वाले टीम पेंटेकल के प्रेसिडेंट शिशिर कुमार ने बंगले की जो तस्वीर उपलब्ध कराई है उसमें साफ-साफ खिड़की के पास झांकती हुई एक महिला दिखाई दे रही है, जो इन्वेस्टिगेशन के दौरान वहां मौजूद ही नहीं थी। यह तस्वीर फुल स्पेक्ट्रम कैमरे से ली गई है। यह खास किस्म का कैमरा होता है, जिसका इस्तेमाल साइंटिफिक रिसर्च में इंफ्रारेड, अल्ट्रावॉयलेट आदि किरणों को कैप्चर करने में किया जाता है।
शिशिर के मुताबिक, पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन में साधारण डीएसएलआर से अदृश्य शक्तियों की तस्वीरें (पैरानॉर्मल सिग्नीफिकेंट) नहीं ली जा सकतीं। साधारण कैमरे से ली गई बंगले की तस्वीर में सिर्फ वही दिख रहा है, जिसे खुली आंखों से देखा जा सकता है।
शिशिर ने बताया, "बिल्डिंग के बाहर से इन्वेस्टिगेशन के दौरान हमने साधारण डीएसएलआर और फुल स्पेक्ट्रम कैमरे से कई तस्वीरें ली। साथ ही इवीपी (इलेट्रॉनिक वॉयस फेनोमिना) रिकॉर्डिंग भी की। बाद में साउंड और पिक्चर्स के एनालिसिस में हमने पाया कि फुल स्पेक्ट्रम तस्वीर में खिड़की के पास एक और झांकती हुई दिखाई पड़ रही है। देश में पहली बार पैरानॉर्मल एनर्जी का फुल बॉडी अपरेशन हमने कैच किया है। विदेशों में ऐसा पहले भी हो चुका है।"
शिशिर ने बताया कि अदृश्य शक्ति के लगभग स्पष्ट रूप में दिखाई देने को ही पैरानॉर्मल की भाषा में 'फुल बॉडी अपरेशन' कहा जाता है। तस्वीर में दिखने वाली औरत कौन है, क्या है, इस बारे में कुछ नहीं बताया।
'भूत' ने बजाया गिटार, कहा- 'शट अप' :-
ईवीपी रिकॉर्डिंग के विश्लेषण के दौरान कुछ पैरानार्मल आवाजें भी सामने आईं। शिशिर ने बताया, "पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन के दौरान हमने जब उस अदृश्य ताकत को नियमत: 'Make some noise' (मेक सम नॉयज) का इंस्ट्रक्शन दिया तो सामान्यत:: जैसा होता है, कोई आवाज नहीं आई। पर ईवीपी (इलेक्ट्रॉनिक वॉयस फेनोमिना) के विश्लेषण के दौरान हमने साफ-साफ गिटार की ट्यून सुनी।" उन्होंने आगे कहा, "इतना ही नहीं ईवीपी एनालिसिस के दौरान हमने बिल्कुल विदेशी आवाज में 'यू शट अप' भी सुना। ये आवाज तब की है जब हमारी टीम टीम बंगले से बाहर निकल रही थी।"
बंगले का दरवाजा और नीले घेरे में झांकती हुई औरत की छाया |
गोवा की राजधानी पणजी से करीब एक-डेढ़ घंटे की दूरी पर एक गांव में स्थित ये 100 साल से ज्यादा पुराने बंगले वहां रहने वाले पुर्तगालियों द्वारा बनाए गए थे। ये बेहद खूबसूरत बंगले अब सुनसान पड़े हैं। वजह, जो भी इनमें रहने जाता है, उन्हें अदृश्य ताकतें परेशान करने लगती हैं और अंतत: उन्हें घर छोडऩा पड़ता है।
'टीम पेंटेकल' के प्रेसिडेंट शिशिर कुमार सदस्यों- रोहित शर्मा, निशा वर्मा, विवेक जैन और विवेक तलवार के साथ 28 फरवरी को किसी दूसरे पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन के तहत गोवा में थे। तभी वहां के ग्रामीणों ने उन्हें उक्त बंगलों के बारे में बताया।
एक ही समय में ली गई दो तस्वीरें। डीएसएलआर द्वारा ली गई तस्वीर में कुछ नहीं है जबकि दाहिनी ओर फुल स्पेक्ट्रम कैमरे से ली गई तस्वीर में कुछ अलग दिखाई दे रहा है। |
रांची में रहने वाले टीम पेंटेकल के प्रेसिडेंट शिशिर कुमार ने बंगले की जो तस्वीर उपलब्ध कराई है उसमें साफ-साफ खिड़की के पास झांकती हुई एक महिला दिखाई दे रही है, जो इन्वेस्टिगेशन के दौरान वहां मौजूद ही नहीं थी। यह तस्वीर फुल स्पेक्ट्रम कैमरे से ली गई है। यह खास किस्म का कैमरा होता है, जिसका इस्तेमाल साइंटिफिक रिसर्च में इंफ्रारेड, अल्ट्रावॉयलेट आदि किरणों को कैप्चर करने में किया जाता है।
शिशिर के मुताबिक, पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन में साधारण डीएसएलआर से अदृश्य शक्तियों की तस्वीरें (पैरानॉर्मल सिग्नीफिकेंट) नहीं ली जा सकतीं। साधारण कैमरे से ली गई बंगले की तस्वीर में सिर्फ वही दिख रहा है, जिसे खुली आंखों से देखा जा सकता है।
डीएसएलआर द्वारा उस जगह की ली गई क्लोज अप तस्वीर, जहां से महिला झांकती हुई दिखाई दी। |
शिशिर ने बताया, "बिल्डिंग के बाहर से इन्वेस्टिगेशन के दौरान हमने साधारण डीएसएलआर और फुल स्पेक्ट्रम कैमरे से कई तस्वीरें ली। साथ ही इवीपी (इलेट्रॉनिक वॉयस फेनोमिना) रिकॉर्डिंग भी की। बाद में साउंड और पिक्चर्स के एनालिसिस में हमने पाया कि फुल स्पेक्ट्रम तस्वीर में खिड़की के पास एक और झांकती हुई दिखाई पड़ रही है। देश में पहली बार पैरानॉर्मल एनर्जी का फुल बॉडी अपरेशन हमने कैच किया है। विदेशों में ऐसा पहले भी हो चुका है।"
शिशिर ने बताया कि अदृश्य शक्ति के लगभग स्पष्ट रूप में दिखाई देने को ही पैरानॉर्मल की भाषा में 'फुल बॉडी अपरेशन' कहा जाता है। तस्वीर में दिखने वाली औरत कौन है, क्या है, इस बारे में कुछ नहीं बताया।
'भूत' ने बजाया गिटार, कहा- 'शट अप' :-
ईवीपी रिकॉर्डिंग के विश्लेषण के दौरान कुछ पैरानार्मल आवाजें भी सामने आईं। शिशिर ने बताया, "पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन के दौरान हमने जब उस अदृश्य ताकत को नियमत: 'Make some noise' (मेक सम नॉयज) का इंस्ट्रक्शन दिया तो सामान्यत:: जैसा होता है, कोई आवाज नहीं आई। पर ईवीपी (इलेक्ट्रॉनिक वॉयस फेनोमिना) के विश्लेषण के दौरान हमने साफ-साफ गिटार की ट्यून सुनी।" उन्होंने आगे कहा, "इतना ही नहीं ईवीपी एनालिसिस के दौरान हमने बिल्कुल विदेशी आवाज में 'यू शट अप' भी सुना। ये आवाज तब की है जब हमारी टीम टीम बंगले से बाहर निकल रही थी।"
क्या होता है भूत-प्रेत ? :-
तो क्या इसका मतलब यह मान लिया जाय कि भूत प्रेत साइंटिफिकली प्रूव हो गए हैं? इस सीधे सवाल पर शिशिर का कहना है कि अब तक के रिसर्च में उन्होंने जो जानकारी हासिल की है उसके मुताबिक आम लोग जिसे भूत-प्रेत कहते हैं, वे वास्तव में 'एनर्जी पैकेट' होते हैं। ब्रह्मांड में फैली ऊर्जा अक्सर सुनसान जगहों में एक जगह जमा हो जाती है और असामान्य परिस्थितियां पैदा करती है।
हालांकि, वे इस बात का दावा नहीं करते कि उनकी बातें शत प्रतिशत सही हैं। उन्होंने कहा, "जिस तरह के भूत-प्रेत की लोग बात करते हैं, उससे हमारा सामना अब तक नहीं हुआ। ज्यादातर केसेस काल्पनिक अथवा सायकेट्रिक निकले हैं। एक पैरानॉर्मल इन्वेस्टीगेटर को जिस दिन सचमुच भूत मिल जाए, उसका मकसद पूरा हो जाए।"