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ब्राजील के साओ पाउलो का एक गाँव है अरारस। यह गाँव त्वचा की एक बहुत ही अजीबो गरीब और दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है। इसे एक्सोडेरमा पिगमेंटोसम यानी एक्सपी कहते है। इस बीमारी में धुप के कारण स्किन गल जाती है। वैसे तो यह बीमारी लाखों लोगो में से किसी एक को होती है पर इस गाँव में 3% आबादी इस बीमारी से पीड़ित है।
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अरारस में ज्यादातर खेती से जुड़े समुदाय रह रहे हैं। ऐसे में वो धूप में काम करने से बच नहीं सकते। कुछ लोगों के पास तो धूप में काम करने के सिवा और कोई चारा भी नहीं है। इसका नतीजा ये हो रहा है कि स्किन की इस भयानक बीमारी के चलते लोगों की जिंदगी मुश्किल होती जा रही है।
आठ साल का पीड़ित बच्चा Image Credit ERALDO PERES/AP |
इस गांव में 800 लोगों में से 20 लोग इस बीमारी के शिकार हैं। मतलब ये हुआ कि हर चालीस लोगों में एक आदमी इस बीमारी से पीड़ित है, जबकि अमेरिका में 10 लाख लोगों में कोई एक शख्स ही इस बीमारी का शिकार है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यहां अनुवांशिकता बताई जा रही है।
एन्टोनियो Image Credit ERALDO PERES/AP |
अरारस में रहने वाले जालमा एन्टोनियो कई साल से इस बीमारी से पीड़ित हैं। एन्टोनियो खेती किसानी से जुड़े हैं इसलिए उन्हें हमेशा धूप में काम करना पड़ा। लिहाजा, उनकी स्किन की हालत हर दिन बिगड़ती गई। एन्टोनियो जब नौ साल के थे तभी उन्हें इस बीमारी के लक्षण नजर आने लगे थे। उनके चेहरे पर चकत्ते और छोटा दाने होने लगे थे। वो कहते हैं कि अगर वो खुद को धूप से बचा पाए होते, तो आज हालात कुछ और होते।
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धूप में उनकी नाक, होंठ, गाल और आंख सब गल कर बिगड़ गया। इस दौरान उनकी 50 से ज्यादा सर्जरी हो चुकी है। अब वो अपने चेहरे को धूप से बचाने के लिए ओरेंज मास्क और टोपी पहनते हैं, जिससे उन्हें बीमारी को काबू में करने में थोड़ी मदद मिल रही है।
एन्टोनियो जैसी ही हालत गांव के बाकी पीड़ितों की भी है। हालांकि अब इस बीमारी से बचने के लिए गांव में लोगों को जागरुक किया जा रहा है। बच्चों को इसके शुरुआती लक्षणों के बारे में बताया जा रहा है और उन्हें धूप में कम से कम निकलने की सलाह दी जा रही है।